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Amritpal Singh : जानिए क्या है Sarbat Khalsa, जिसकी मांग कर रहा है Amritpal

दोस्तों खालिस्तान (Amritpal Singh) समर्थक अमृतपाल को पंजाब पुलिस पिछले 13 दिनों से खोज रही है, लेकिन पंजाब पुलिस के हाथ अभी भी खाली है,,और अब तो वो,,वीडियो बनाकर खुला चैलेंज दे रहा है। दोस्तों बुधवार को एक वीडियो हुआ जिसमे अमृतपाल ने कहा कि,, पुलिस उसका बाल भी बांका नहीं कर सकी। इसके साथ ही उसने बैसाखी पर सरबत खालसा (Sarbat Khalsa) बुलाने की मांग भी रख दी है,,दोस्तों (Amritpal) अमृतपाल सिंह का जो वीडियो सामने आया है,,उसमे वो देश-विदेश में बसे सिख समाज से बैसाखी पर सरबत खालसा बुलाने की अपील कर रहा है,,दोस्तों क्या है सरबत खालसा, इसका क्या महत्व है और इसे बुलाने की मांग के पीछे क्या अमृतपाल की कोई चाल है?

Sarbat Khalsa क्या है, जिसकी मांग Amritpal ने की

दोस्तों अब हम आपको बताते है की सरबत खालसा क्या है, जिसकी मांग अमृतपाल कर रहा है,,दोस्तों सरबत माने सभी और खालसा माने सिख,, सरबत खालसा का मतलब है सभी सिखों की एक सभा,,दोस्तों 16वीं शताब्दी में सिखों के चौथे गुरु रामदास के समय एक प्रथा शुरू हुई। इसमें साल में दो बार,, सिख समुदाय एक जगह पर जुटता था। यह जुटान वैशाखी और दीवाली पर होती थी। समुदाय के सभी लोग गुरु के साथ इकट्ठा होते और मिलते-जुलते। समय के साथ सिखों का यह मिलना अपने आस-पास समाज और राजनीति में हो रहे बदलावों के लिए चर्चा का केंद्र बनने लगा।

दोस्तों 1716 की बात है। बंदा सिंह बहादुर के शहीद होने के बाद खालसा बिखर से गए। उन्होंने अपने सेनानायक को खो दिया था। दूसरी तरफ सिखों पर मुगल सेना कहर बरपा रही थी। इस नरसंहार से मोर्चा लेने के लिए ‘दल खालसा’ बना। यह दल खालसा आगे चलकर तरुण और बुड्ढा दल बना और यही सिख मिसल यानी सिखों की मिलिट्री यूनिट्स का आधार बना।,,,दोस्तों 18वीं शताब्दी में 10वें गुरु,, गुरु गोबिंद सिंह के निधन के बाद सिख मिसलें यानी मिलिट्री यूनिट्स ने समुदाय के लिए अधिक महत्व के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा के लिए सरबत खालसा को बुलाना शुरू किया।

दोस्तों 19वीं सदी में सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह ने सरबत खालसा बुलाने की प्रथा को समाप्त कर दिया था। तकरीबन 200 साल बाद पहली बार 26 जनवरी 1986 में खुलेतौर पर सरबत खालसा को बुलाया गया था। स्वर्ण मंदिर में हुए इसी सरबत खालसा में भारत सरकार के खर्च पर अकाल तख्त के निर्माण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। लाखों सिखों की मौजूदगी में फैसला लिया गया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान क्षतिग्रस्त अकाल तख्त को कार सेवा के जरिए ही बनाया जाएगा। दोस्तों तब केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी और सुरजीत सिंह बरनाला पंजाब के मुख्यमंत्री थे। दोनों ही सरकारों ने पहले प्रस्ताव को सिखों के आत्मसम्मान से जुड़ा मुद्दा माना, लेकिन दूसरे प्रस्ताव को खालिस्तान की अलगाववादी मांग को भड़काने की कोशिश की ।

अमृतपाल ने अपने लेटेस्ट वीडियो में क्या-क्या बोला

दोस्तों वारिस पंजाब दे का चीफ,,खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पंजाब में ही छुपा हुआ है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह अमृतसर में गोल्डन टेंपल स्थित श्री अकाल तख्त साहिब या बठिंडा के तलवंडी साहिब स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब में आकर सरेंडर कर सकता है। इसका इनपुट मिलते ही पुलिस ने दोनों जगहों पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। दोस्तों पंजाब पुलिस के मुताबिक अमृतपाल ने सरेंडर के लिए 3 शर्तें रखी हैं। पहली- पुलिस कस्टडी में उसके साथ मारपीट न की जाए। दूसरी- उसे सिर्फ पंजाब की जेल में ही रखा जाए। तीसरी- उसके सरेंडर को गिरफ्तारी न बताया जाए।

दोस्तों अमृतपाल सिंह ने अपने वीडियो में अकाल तख्त से सरबत खालसा बुलाने की मांग की है और देश-दुनिया के सभी सिखों को इसमें शामिल होने का आवाहन किया है। इससे साफ पता चलता है कि अमृतपाल अपनी निजी एजेंडे को सिख कम्युनिटी की लड़ाई बनाना चाहता है। दोस्तों आपका इस मामले को लेकर क्या कहना है आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर जरूर बताएं

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