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AAP’s Report Card in Elections: 205 सीटों पर लड़ा विधानसभा चुनाव, सभी को मिली हार

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AAP’s Report Card in Elections: दोस्तों आम आदमी पार्टी का विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन रहा जनता ने केजरीवाल को जोर का झटका दिया जिसके बाद आप पार्टी बुरी तरह भोंकहलगई गई है इनके बड़बोलेपन का कोई इलाज नहीं है। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में उत्तर भारत के तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हार जाने के बाद पार्टी ने दावा किया कि उत्तर भारत में अब सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी आप हो गई है क्योंकि तीन राज्यों में उसकी सरकार है

दरअसल , इंडिया गठबंधन की 6 दिसंबर को बैठक बुलाई गई है। आप भी इंडिया गठबंधन में है। लेकिन उस बैठक से पहले ही AAP ने उत्तर भारत में “सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी” होने का दावा कर दिया। आप के वरिष्ठ नेता जैस्मीन शाह ने ट्वीट किया-, “नतीजों के बाद, आम आदमी पार्टी 2 राज्य सरकारों पंजाब और दिल्ली के साथ उत्तर भारत में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है।” आप पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से भी महत्वपूर्ण बयान जारी किया। उसने लिखा- “अगर गठबंधन कायम रहता है और आगे बढ़ता है, तो कांग्रेस को 2024 में चुनाव लड़ने वाली सीटों की संख्या में समझौता करना होगा।” ” तीन राज्यों में अपनी हार पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी ने कहा, “आप इन राज्यों में गठन के चरण में है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव लड़ रहे थे कि हमारा संदेश सभी तक पहुंचे।

आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर फिरा पानी

दोस्तों आप ने मध्य प्रदेश में 66 सीटों पर चुनाव लड़ा उसे मात्र 0.53% वोट मिले जो नोटा को मिले वोट प्रतिशत से भी कम है। केजरीवाल हरियाणा के रहने वाले हैं। उन्होंने हरियाणा से सटे राजस्थान में 85 प्रत्याशी उतारे यहां उनकी पार्टी की हालत और भी पतली रही। आप के 85 प्रत्याशियों को मात्र 0.38% वोट मिले। यहां भी नोटा उससे आगे निकल गया। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर आप मैदान में उतरी लेकिन उसे सिर्फ 0.93% वोट मिले।

और अब आप इतने खराब प्रदर्शन का,, यह कहकर बचाव कर रही है कि भाजपा भी तो कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बुरी तरह हार चुकी है। उदाहरण दिया कि “कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को 31 सीटों पर अपनी जमानत गंवानी पड़ी। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश में प्रचार किया लेकिन बीजेपी सभी 173 सीटें हार गई और उसे नोटा से भी कम अंक मिले। क्या इससे गुजरात में बीजेपी के वोट शेयर पर असर पड़ा?” दोस्तों आप पार्टी ये सब इसलिए कह रही है क्योंकि वो चार राज्यों में केजरीवाल के हसीन सपने के धराशाई होने का बचाव करना चाहती है।

द हिन्दू की एक रिपोर्ट में आप के अज्ञात नेता का बयान छपा है। जिसमें वो कह रहे हैं- “देखिए, हम अभी भी एक युवा पार्टी हैं और इसे अन्य राज्यों में फैलने में समय लगेगा। हम कांग्रेस की तरह नहीं हैं जो 75 साल से चुनाव लड़ रही है और फिर भी हार रही है। हम अन्य राज्यों में बढ़ रहे हैं लेकिन यह रातोरात नहीं हो सकता।”

लोकसभा चुनावों से पहले बढ़ी आप की चिंता

अब सफाई देने से क्या होगा ये हम सबको पता है आम आदमी पार्टी हर चुनाव में हार के नए रिकॉर्ड बनाती है। वो ऐसे ऐसे रिकॉर्ड बना चुकी है जिसे शायद कोई पार्टी नहीं तोड़ पाए। अपने ही लोकसभा चुनाव में यानी 2014 में पार्टी ने चार सौ से ज्यादा सीटों पर जमानत जब्त कराने का रिकॉर्ड बनाया था।, लेकिन सबसे मजेदार यह है कि राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद ,,चार राज्यों के चुनाव में आप ने जैसे प्रदर्शन किया है वह भी रिकॉर्ड बनाने वाला है। किसी राष्ट्रीय पार्टी की ,,ऐसी दुर्दशा इससे पहले शायद ही किसी चुनाव में हुई होगी। सायद आम आदमी पार्टी ने समझ लिया है कि वह राष्ट्रीय पार्टी हो गई है तो यह संवैधानिक बाध्यता है कि वह हर जगह चुनाव लड़े। इसलिए उसने बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतारे और हार का रिकॉर्ड बनाया।

दोस्तों सोचने की बात तो ये है हर जगह बसपा को आप के मुकाबले कई गुना ज्यादा वोट मिला फिर भी आप का दावा है कि उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है!……दोस्तों यह पहली बार नहीं है जब पार्टी ने इस तरह का बयान दिया है। पिछले साल जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तब भी पार्टी की ओर से कहा गया था कि वह देश की तीसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी हो गई क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के अलावा ,,किसी पार्टी की एक से ज्यादा राज्य में सरकार नहीं है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद जो दावे किए गए थे वो अपनी जगह हैं।

INDIA के लिए चिंता बन सकती है AAP

यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी के इस दावे को कोई गंभीरता से नहीं लेता है यह सही है कि उसकी दो राज्यों- दिल्ली और पंजाब में सरकार है ,,लेकिन दिल्ली में सरकार की असली ताकत उप राज्यपाल के पास है। एक पूर्ण राज्य पंजाब में उसकी सरकार है। इन दो राज्यों के अलावा गुजरात में पांच और गोवा में उसके दो विधायक हैं। उत्तर भारत के दोनों राज्यों में कुल मिला कर उसके पास 154 विधायक हैं। सिर्फ एक लोकसभा सांसद है और दिल्ली, पंजाब की सभी 10 राज्यसभा सीटें उसके पास हैं। इस आधार पर पार्टी यह दावा कर रही है कि वह उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी हो गई।

आम आदमी पार्टी तो, अब दूसरी प्रादेशिक पार्टियों से तुलना ही नहीं कर रही है। उसका निशाना सिर्फ कांग्रेस पार्टी है। यह सही है कि उत्तर भारत में कांग्रेस का सिर्फ हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री है।, लेकिन सिर्फ इस आधार पर कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी का आकलन नहीं किया जा सकता है। उत्तर भारत के दो राज्यों- बिहार और झारखंड में कांग्रेस के समर्थन वाली सरकार है और दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकार में शामिल है। इन तीन राज्यों के अलावा कांग्रेस एकाध को छोड़ कर सभी उत्तर भारतीय राज्यों में मुख्य विपक्षी पार्टी है।

लोकसभा चुनावों से पहले बढ़ी आप की चिंता

दोस्तों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव हारने के बाद ……..कांग्रेस इन तीनों राज्यों में मुख्य विपक्षी पार्टी है। सिर्फ इन तीन राज्यों में कांग्रेस के इतने विधायक हैं, जितने आदमी पार्टी के पूरे देश में नहीं हैं। इन तीन राज्यों में कांग्रेस के 171 विधायक हैं जबकि दिल्ली, पंजाब, गुजरात और गोवा मिला कर आप के 161 विधायक हैं।

मतलब की दोस्तों आप के पास सब जीतने के बाद जितना है उतना कांग्रेस के पास तीन राज्य हारने के बाद बचा है। इन तीन के अलावा कांग्रेस पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी पार्टी है। इन तीन राज्यों में उसके 56 विधायक हैं। जहां वह सीधे या सहयोगियों के साथ सरकार में है वहां उसके 76 विधायक हैं। उत्तर प्रदेश के दो विधायकों को जोड़ें तो उत्तर भारत में कांग्रेस के कुल 305 विधायक हैं। यानी आप की संख्या के दोगुने से थोड़े कम।

फिर भी विपक्षी पार्टियों की राजनीति के बीच अपना नैरेटिव सेट करने के लिए आप की ओर से उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने का दावा शुरू हो गया है और आगे भी होता रहेगा। हार से इतनी भोंकलागई आप पार्टी की कुछ भी बयान बाजी किए जा रही है आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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