Maharshtra Politics: शिंदे सरकार में रार! मंत्री का इस्तीफा गिरेगी महाराष्ट्र सरकार !
दोस्तों महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है शायद ये पहली बार हो रहा होगा की अपनी ही सरकार से एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया अपनी ही सरकार से एक मुद्दे के विरोध में इस्तीफा दे दिया छगन भुजबल अजित पवार गुट से फिलाल मंत्री पद पर विराजमान थे और अब छगन भुजबल ने खुद खुलासा किया कि ढाई महीने पहले में इस्तीफा दे चुका हु दोस्तों जब उन्होंने क़रीब ढाई महीने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था तो अब तक इसकी जानकारी बाहर क्यों नहीं आई? आखिर वो चुप क्यों रहे?
दोस्तों छगन भुजबल ने इसकी घोषणा एक रैली में की है।, छगन भुजबल ने ओबीसी कोटे में मराठाओं को आरक्षण देने का विरोध किया और पिछड़ी जातियों का आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है उन्होंने यह भी बताया है कि वे पिछले साल नवंबर में ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुके है। हालांकि बाद में राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि छगन भुजबल का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।
मंत्री छगन भुजबल दिया चौकानें वाला बयान
छगन भुजबल ने अहमदनगर में एक रैली में कहा है- मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मैंने 16 नवंबर 2023 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। वजह ये थी कि सरकार ने ओबीसी कोटे में मराठाओं को पिछले दरवाजे से एंट्री दी। भुजबल ने कहा- मैं इस्तीफे को लेकर दो महीने से चुप रहा क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री ने इस बारे में बोलने से मना किया था। मैं मराठा आरक्षण का विरोधी नहीं हूं लेकिन राज्य में जो ओबीसी कोटा है उसे मराठा के साथ शेयर करने के खिलाफ हूं।
गौरतलब है कि 27 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री शिंदे ने मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल की मांगें मान ली थीं। इसके साथ ही मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल कर उन्हें आरक्षण देने का ऐलान किया था। भुजबल इसके विरोध में थे। इसके बाद शिंदे सरकार में भाजपा के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भुजबल से इस्तीफे की मांग की थी। इसे लेकर शनिवार तीन फरवरी को भुजबल ने कहा- मुझे बरखास्त करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं इस्तीफा दे चुका हूं और ओबीसी के लिए आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा।
दोस्तों इससे पहले छगन भुजबल को महाराष्ट्र कैबिनेट से बाहर करने की कथित मांग करने वाली शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) विधायक संजय गायकवाड़ का एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ था। इस वीडियो के आने के बाद भुजबल ने शुक्रवार को कहा था कि इस्तेमाल की गई भाषा से वह आहत हुए हैं। उन्होंने कहा था ‘मैंने उनका बयान सुना है और इसके बारे में पढ़ा है। हर किसी को मेरा इस्तीफा मांगने का अधिकार है। विधायक मुझसे इस्तीफा भी मांग सकते हैं। मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना है। लेकिन उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह उचित नहीं है।’ उन्होंने कहा था, ‘मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं उस संस्थान का वरिष्ठ प्रोफेसर था जिसमें उन्होंने ये पाठ सीखा है।’
मराठा आरक्षण के विरोध में दिया इस्तीफा!
बहरहाल, शनिवार को एक रैली को संबोधित करते हुए भुजबल ने दोहराया कि वह मराठों को आरक्षण मिलने के विरोध में नहीं हैं लेकिन मौजूदा ओबीसी कोटा साझा करने के ख़िलाफ़ हैं। उन्होंने सरकार पर मराठा आरक्षण नेता मनोज जारांगे की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। भुजबल ने आरोप लगाया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा एक सर्वेक्षण के माध्यम से मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए डेटा जुटाने की प्रक्रिया सही नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘हालाँकि राज्य की आबादी में ओबीसी 54-60%, एससी/एसटी 20% और ब्राह्मण 3% हैं फिर भी सभी विधायक और सांसद मराठा वोट खोने से डरते हैं।’ भुजबल ने दावा किया कि ओबीसी विधायक रैलियों में भाग लेना तो दूर फंडिंग में भी मदद नहीं करते हैं। बता दे की एनसीपी में शामिल होने से पहले भुजबल भी शिवसेना में थे। वह अब एनसीपी के अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।
बता दें कि भुजबल ने जिस 16 नवंबर को इस्तीफे देने की बात की है उसके 10 दिन बाद ही नवंबर में उन्होंने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ रुख अपनाया था। उन्होंने मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र दिए जाने का विरोध किया था। इस मामले में अपनी ही सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति संदीप शिंदे समिति को रद्द करने की मांग की थी।, उन्होंने कहा था ‘समिति का गठन किया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मराठा समुदाय पिछड़ा नहीं है।’ उन्होंने यह भी कहा था कि हाल के दिनों में मराठों को दिए गए कुनबी जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
खैर, महाराष्ट्र में तमाम राजनीति दलों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है 2,3 महीने मे लोकसभा चुनाव है अब सता धारी पार्टिया ओबीसी ओर मराठा समुदाय को कैसे शांत रख पाती है क्या आने वाले समय में महाराष्ट्र की बीजेपी ओर शिंदे गुट वाली सरकार के सामने दो मोर्चे खुलने वाले है एक मराठा आरक्षण ओर दूसरा ओबीसी समुदाय का विरोध अब देखने वाली बात ये होगी की सरकार इन सबसे निपट भी पाती है या नहीं आपकी इस पर क्या राय है हमे comment कर जरूर बताएँ