IIT BHU Gangrape Case: तीनों आरोपी निकले BJP के नेता, सजा मिलेगी या बीजेपी सरक्षण ?
IIT BHU Gangrape Case: दोस्तों जो पार्टी महिला सुरक्षा के बड़े बड़े द्यावे करती है बड़े बड़े मुद्दे जनता के सामने रख देती है की इस मुद्दे को उस मुद्दे को ,,ध्यान मे रखते हुए वोट देना आज वही पार्टी फिर से बलात्कार के आरोप का सामना कर रही है दोस्तों में बात यहाँ भारतीय जनता पार्टी की कर रही हु बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में बीते दिनों छात्रा के साथ छेड़छाड़ ओर बलात्कार का जो मामला सामने आया था उसमे (BJP) बीजेपी के 3 आईटी cell के मेम्बर आरोपी है
भाजपा और मोदी सरकार के ‘बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ’ नारे को गांव-गांव तक प्रचारित करने का काम भी आईटी सेल के प्रमुख कार्यभारों में से एक रहा है। जब इसके कर्ता-धर्ता ऐसे धतकर्म में शामिल हों तो क्या भाजपा को ये नारा सोभा देता है क्या देश का मीडिया इस मुद्दे को सिरे चढ़ाएगा या हर बार की तरह एक बार फिर से सरकार की छवि को बचाने के लिए किसी एक सतही मुद्दे पर नकली चीख-पुकार मचाकर देश की बेटियों के साथ हो रहे अत्याचारों को दबाने की कोसिस करेगा ये तीनों बीजेपी के पदाधिकारी हैं। क्या इस वजह से गिरफ़्तारी में देरी की गई
IIT-BHU गैंगरेप के आरोपी अरेस्ट
1 और 2 नवंबर की रात को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आईआईटी बीएचयू की छात्रा से गैंगरेप हुआ था। इस मामले में लड़की ने मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था जिसके बाद 8 नवंबर की रात में वाराणसी पुलिस ने छेड़छाड़ वाले मामले में गैंगरेप और बंधक बनाने की धारा जोड़ी। घटना की अगली सुबह 2 नवंबर को बीएचयू के छात्रों में इस दरिंदगी की खबर आग की तरह फैल गई थी जिसके बाद हजारों छात्र सड़क पर उतर आए थे और कैंपस में प्रदर्शन पर बैठ गए थे। बाद में पुलिस की ओर से कार्रवाई का भरोसा दिए जाने के बाद छात्रों ने अपना धरना खत्म किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक ….पीड़िता का आरोप था कि वो 2 नवंबर की रात करीब 1:30 बजे अपने न्यू गर्ल्स हॉस्टल से टहलने के लिए निकली थी. यहां उसे एक दोस्त मिल गया., दोनों कुछ दूर आगे चले ही थे कि एक बुलेट पर 3 युवक कैंपस में घुस आए. इन युवकों ने जबरदस्ती दोनों को अलग-अलग कर दिया. बाहर से आए अज्ञात युवकों ने पीड़िता को अलग ले जाकर डराया-धमकाया और उसका यौन उत्पीड़न किया. पीड़िता ने बताया कि आरोपियों ने उसका वीडियो बनाकर धमकाया कि अगर घटना के बारे में किसी को बताया तो क्लिप वायरल कर देंगे. उन्होंने जबरन छात्रा का मोबाइल नंबर भी ले लिया.
गैंगरेप के बाद तीनों आरोपियों ने गन पॉइंट पर छात्रा के कपड़े उतरवाकर इसके वीडियो भी बनाए थे कहा ये भी जा रहा है कि घटना के बाद तीनों आरोपी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कैंपेनिंग के लिए निकल गए थे। तीनों के वाराणसी आते ही पुलिस एक्टिव हुई और घटना के 60 दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। तीनों आरोपियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। हालांकि भाजपा ने ये खुलासा नहीं किया कि गैंगरेप के तीनों आरोपी पार्टी में किस विंग और किस पोस्ट पर काबिज थे? कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
आरोपियों के नाम कुणाल पांडेय, अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल हैं और सभी वाराणसी के ही रहने वाले हैं। पुलिस ने उस बुलेट को भी बरामद कर लिया है जिसका इस वारदात में इस्तेमाल किया गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कुणाल के पास बीटेक की डिग्री है। दो साल पहले ही उसकी शादी हुई थी। उसकी सास पार्षद हैं। खुद कुणाल भी निगम पार्षद पद का चुनाव लड़ने की तैयारी में था।
दूसरे आरोपी अभिषेक चौहान उर्फ़ आनंद के खिलाफ मारपीट का मुकदमा पहले से दर्ज है। उसके पिता साड़ी की छपाई का काम करते हैं। तीसरा आरोपी सक्षम पटेल कौड़िया अस्पताल में कंपाउंडर था। उसके परिवार के लोग फल की दुकान लगाते हैं। कहा जा रहा है कि सक्षम के कुछ राजनीतिक लोगों से अच्छे संबंध थे।
मोदी के क्षेत्र मे बीजेपी मेम्बर निकले बलात्कारी
तीनों आरोपी बनारस से तीन दिन बाद मध्यप्रदेश भाग गये थे। छात्रा की इज्जत लूटने वाले यही लोग बाद में मध्य प्रदेश की लाडली बहना स्कीम का प्रचार कर भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा ले रहे थे।, जबकि तथ्य यह है कि पीड़िता ने अपराध के पांचवें दिन ही सीसीटीवी फुटेज में अपराधियों की पहचान कर ली थी। सोशल मीडिया पर इन आरोपियों की तस्वीरें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सहित स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वायरल हो रही हैं।
दोस्तों 2 महीने तक गुपचुप तरीके से पुलिसिया कार्रवाई धीमी गति से चलती रही और अचानक से 5 राज्यों के चुनाव और मंत्रिमंडल की ताजपोशी के बाद गुपचुप तरीके से गिरफ्तारी बताती है कि इन अपराधियों की करतूत के बारे में प्रशासन पहले से वाकिफ था लेकिन राजनीतिक मजबूरी के चलते ऐसे मौके की तलाश में था जब सारा देश नववर्ष के स्वागत की तैयारियों में व्यस्त था। लोगों को मीडिया या अखबारों में देश और दुनिया भर में नए साल के जश्न की तस्वीरों से सरोबार तस्वीरों में ही रूचि रहती है।
लेकिन अब दो महीने बाद जब असली अपराधियों के नाम उजागर हो रहे हैं, तो देश का अधिकांश मीडिया प्रभु वर्ग मामले को भरसक दबाने में लगा हुआ है। घटना के काफी दिन बाद सामूहिक दुष्कर्म की धारा जोड़ी गई। लेकिन सवाल उठता है कि इस घटना के दौरान सीसीटीवी में तो इनके चेहरे पहले दिन से ही स्पष्ट थे फिर कार्रवाई करने में इतनी देरी क्यों हुई? विश्वविद्यालय परिसर के भीतर इस घटना को अंजाम देने की हिम्मत आखिर इन अपराधियों को कैसे हो गई? क्या सत्ता से मिल रहा ,,संरक्षण इसकी वजह नहीं है? आपको क्या लगता है क्या अब भी इन आरोपियों पर कारवाई होगी या बीजेपी का सरक्षण मिलेगा इनको अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ