Supreme Court On Patanjali: दोस्तों जिस रामदेव ने हमारे doctors का अपमान किया था, जिस रामदेव ने अपने लाखों करोड़ों समर्थकों को कोरोना की वैक्सीनस को लेकर भ्रामक बयान दिया था और जिस पर मोदी सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया उस (Baba Ramdev) रामदेव ओर उनकी कंपनी पतांजली को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कड़ी फटकार लगाई है और सिर्फ फटकार नहीं बल्कि करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी है
सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर को आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई। बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले पतंजलि आयुर्वेद उत्पादों के प्रत्येक विज्ञापन में किए गए प्रत्येक झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर विचार करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने बाबा रामदेव द्वारा सह-स्थापित कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की
Supreme Court की पतंजलि को फटाकर
जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। न्यायालय ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और न्यायालय प्रत्येक उत्पाद जिसके बारे में झूठा दावा किया जाता है कि वह एक विशेष बीमारी को “ठीक” कर सकता है पर एक करोड़ रुपये की सीमा तक जुर्माना लगाने पर भी विचार करेगा। इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसके द्वारा आकस्मिक बयान न दिए जाएं।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, वह इस मुद्दे को “एलोपैथी बनाम आयुर्वेद” की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है। यह कहते हुए कि वह इस मुद्दे की गंभीरता से जांच कर रही है, पीठ ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि केंद्र सरकार को समस्या से निपटने के लिए एक व्यवहार्य समाधान ढूंढना होगा। सरकार से विचार-विमर्श के बाद उपयुक्त सिफारिशें पेश करने को कहा गया।
अदालत एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अमरजीत सिंह के माध्यम से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीओवीआईडी -19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ एक बदनामी अभियान का आरोप लगाया गया था। पिछले साल अगस्त में शीर्ष अदालत ने कोरोनोवायरस महामारी के दौरान एलोपैथी और इसके अभ्यास करने वाले डॉक्टरों को बदनाम करने के उनके प्रयास पर रामदेव से सवाल किया था
रामदेव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 269 (लापरवाही से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
कोविड की दवा बनाने के दावे को लेकर घिरी थी पतंजलि
IMA की शिकायत के अनुसार महामारी के दौरान रामदेव कथित तौर पर चिकित्सा बिरादरी भारत सरकार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अन्य अग्रणी संगठनों द्वारा इस्तेमाल की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहे थे। आईएमए ने जोर देकर कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां रामदेव ने ऐसे बयान दिए हैं जो सभी कार्रवाई के अलग-अलग कारण हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 फरवरी 2024 को होगी. पिछले साल आईएमए की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव की खिंचाई की थी।
दोस्तों ये पहली बार नहीं है जब रामदेव किसी विवाद में फसे हो 2015 में कंपनी ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था। 2015 में कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद सीएसडी ने अपने सारे स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था। 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत की थी। 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी। कोरोना के अलावा रामदेव बाबा कई बार योग और पतंजलि के प्रोडक्ट्स से कैंसर एड्स और होमोसेक्सुअलिटी तक ठीक करने के दावे को लेकर विवादों में रहे हैं।
दोस्तों चाहे कोरोनो हो, चाहे doctors हो चाहे दिव्य दंत मंजन में समुद्रफेन की मोजूदगी हो ये तमाम चीजे है जिस पर रामदेव लगातार घिरते रहते है विवादों में रहे है मगर मजाल है सरकार उनके खिलाफ कोई एक्शन भी ले आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है