Delhi Civil Defence: दोस्तों इकलोती ईमानदार सरकार आम आदमी पार्टी यानि की दिल्ली की केजरिवल सरकार वादों के पूल बांध देती है सिर्फ वादों के पूल बाधना जानती है उनको पूरा करने का इरादा कोई होता नहीं है । 4-4 महीनों तक कर्मचाकियों को सैलरी नहीं मिल रही है। केजरीवाल सरकार की इस नाकामी के खिलाफ कुछ समय पहले ही लोग सड़कों पर उतर आए थे । आतिशी और केजरीवाल के घर के आगे सिविल डिफेंस (Civil Defence) के कर्मचारियों ने धरना दे दिया था। लेकिन कर्माचारियों की सैलरी के समाधान पर बात करने के बजाए केजरीवाल और आतिशी मुंह छुपाकर घर से बाहर भाग निकले थे । और कहां दिवाली पर बोनस मिलता है लेकिन केजरिवल सरकार तो सैलरी तक नहीं दे पा रही । यहा तक की नौकरी छीनने तक उतारू हो चुकी है । जी हाँ, दिवाली पर एक बुरी खबर सुनाने जा रही है दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं
दिवाली से पहले दिल्ली के सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स के लिए बुरी खबर है। इस साल अप्रैल से रोके गए अपने वेतन को तुरंत जारी करने की मांग को लेकर लगातार किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच दिल्ली सरकार के 40 विभागों में लगे 10,000 से अधिक सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सेवाएं जल्द ही समाप्त होने की संभावना है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबकि, सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में रेवेन्यू डिपार्टमेंट की विभिन्न रूटीन ड्यूटी में लगे 189 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को हटाने का प्रस्ताव था, सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी स्वयंसेवकों के रोजगार पर सही कानूनी स्थिति का पता लगाया जाना चाहिए और अक्टूबर के अंत से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जानी चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि सीएम ने यह भी निर्देश दिया कि अक्टूबर तक का वेतन तुरंत दिया जाए। दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
‘एडहॉक आधार पर कोई चयन नहीं’
10,792 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स में से 8,574 को परिवहन विभाग ने डीटीसी और क्लस्टर बसों में बस मार्शल के रूप में नियुक्त किया है। राजस्व, एमसीडी, पर्यावरण, खाद्य एवं आपूर्ति, व्यापार एवं कर और चुनाव अन्य विभाग हैं जो इन सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सेवाएं लेते हैं।
सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल ने यह भी सिफारिश की है कि सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की भविष्य की सभी भर्ती “उचित प्रक्रिया के माध्यम से की जाएगी, न कि एडहॉक तरीके से” जैसा कि वर्तमान में किया जा रहा है। दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की मूल भूमिका स्थानीय प्रशासन की सहायता करना है, लेकिन वे अलग-अलग कार्यों में लगे हुए हैं, जिनमें ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ जैसे अभियानों में प्रशासन की सहायता करना और उप रजिस्ट्रार कार्यालयों में विविध कार्यों में सहायता करना शामिल है। महामारी के दौरान, उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स की भूमिका निभाई और हॉटस्पॉट की स्क्रीनिंग, खाना बांटने, भीड़-भाड़ वाले स्थानों और टीकाकरण स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने में सरकार की मदद की थी।
वेतन पर सालाना 400 करोड़ रुपये हो रहे खर्च
एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में इन सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को सालाना 400 करोड़ रुपये वेतन के रूप में दिए जाते हैं, जिसमें से 280 करोड़ रुपये केवल बस मार्शलों को दिए जाते हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि राजधानी में उनके द्वारा किया जा रहा काम सिविल डिफेंस एक्ट के अनुरूप नहीं है।
इस साल अप्रैल से अपना वेतन रोके जाने के कारण सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने हाल ही में राजनिवास, मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के आवास और दिल्ली सचिवालय के पास विरोध प्रदर्शन किए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि इन वॉलंटियर्स की उनकी अनिवार्य जिम्मेदारियों और कार्यों के विरुद्ध तैनाती को विभिन्न विभागों द्वारा अवैध माना गया था और उनके वेतन को रोक दिया गया था।
दोस्तों वैसे केंद्र और दिल्ली दोनों ही सरकार बेरोज़गारी को रोक पाने में असफल रही है। पूरे देश में ही बेरोजगारी अपने चरम पर है। मोदी सरकार जो वादा करके आयी थी कि वो नौजवानों को दो करोड़ नौकरियां हर साल देगीलेकिन वो अभी तक ऐसा नहीं कर पाई है। इसी तरह देश की राजधानी में दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी पहले पांच सालो में आठ लाख नौकरियां देने का वाद किया था। हालाँकि वो पिछले कुछ सालों से नौकरी के सवाल पर कुछ भी बोलने से बचती रही है। उसने अपने अंतिम चुनावी घोषणा पत्र में इसका जिक्र तक नहीं किया था। जिन सिविल डिफेन्स के जवानों से फ्री में काम करवाया उनके ही पेट पर लात मार रहे है फिलाल बस याद रखना चुनाव फिर आएंगे आपकी इस पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ