Parliament Special Session : दोस्तों पीएम मोदी (PM Modi) ने आज पुरानी संसद में ,,आखिरी भाषण के तौर पर ,,लगभग 50 मिनट तक ,,संसद के सदस्यों को ,,सांसदों को संभोधित किया ,,पीएम मोदी के इस भाषण में बहुत कुछ बातें कही गई ,,देश में कब कॉन्से बड़े फैसले उस संसद से कीये गए ,,संसद की गरिमा ,,मर्यादा को लेकर ,,अगर साफ सफदो मे कहू तो ,,पीएम मोदी का आज का भाषण ,,एक पीएम पद पर बैठे ,,किसी नेता के भाषण के तौर पर गरिमा मई भाषण था ,,ओर पीएम मोदी से ऐसे भाषणों की उमीद ,,हम जैसे लोग नहीं करते
पुरानी संसद का इतिहास
दोस्तों एक इमारत… जिसे अंग्रेजों ने लंबी हुकूमत की चाहत में बनवाया था। जहां भगत सिंह को अपनी आवाज सुनाने के लिए ,,बम फेंकना पड़ा। ,,जहां आधी रात को आजादी के मौके पर नेहरू का चर्चित भाषण गूंजा। ,,जहां संविधान की एक-एक लाइन लिखने के लिए ,,कई दिनों तक बहस होती रही। ,,एक इमारत… जहां शास्त्री ने देशवासियों से ,,एक वक्त का खाना छोड़ने की अपील की। ,,जहां इंदिरा ने पाकिस्तानी सेना के घुटने टेकने की खबर सुनाई। ,,जहां अटल ने कहा- मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।
पीएम मोदी ने दिया हैरान करने वाला बयान
पुराने संसद भवन में कार्यवाही के आखिरी दिन ,,अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने ,,संसद से जुड़े तमाम लोगों को याद किया। ,,संसद में काम करने वाले कर्मचारियों,, माली समेत पत्रकारों, ,,सुरक्षाकर्मियों को भी याद किया,, और उन्हें धन्यवाद कहा है। ,,हालांकि पीएम मोदी ने पत्रकारों को लेकर ऐसा कुछ कहा,, जिसे सुनने के बाद सांसद ठहाके लगाने लगे।,,टेबल थपथपाने लगे ,,दोस्तों इस विशेष सत्र में पीएम मोदी ने,, जो बात बोली ,,उसकी उम्मीद तो किसी ने भी नहीं की होगी।, प्रधानमंत्री पुरानी संसद के इतिहास पर,, सदन के अंदर बोल रहे थे,, लेकिन अचानक उन्हें पत्रकारों की याद आ गई।
पत्रकारों पर क्या बोले पीएम मोदी?
पीएम मोदी ने कहा कि ,,एक प्रकार से ,,जैसे ताकत यहाँ की दीवारों की है,, वैसे ही दर्पण उनकी कलम में रहा है ,,और कलम ने देश के अंदर,, (pm modi on Journalists) संसद के प्रति संसद के सदस्यों के प्रति,,,एक अहोभाव जगाया है। दोस्तों पीएम मोदी जी ने ,,संसद कवर करने वाले पत्रकारों को ,,याद करते हुए कहा कि ,,ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया है,, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे,, लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता। ,,सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं,, भारत की विकास यात्रा को ,,संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने ,,अपनी शक्ति खपा दी। ,,ये बात बिलकुल सही है। दोस्तों,, की जो पत्रकार संसद कवर करते है,, वो न केवल पॉलिटिक्स के जानकार होते हैं,, पॉलिटिकल खबरों के जानकार होते हैं ,,बल्कि उन्हें संसदीय परंपराओं की भी बहुत जानकारी होती है।
लेकिन पीएम मोदी ने ,,जो साफ साफ ,,बिल्कुल सरलता से , आज पत्रकारिता की,, पत्रकारों की तारीफ की,, क्या आपको थोड़ी हैरानी नहीं हुई? ,,एक तरफ पीएम संसद के अंदर पत्रकारों ने जैसा काम किया,, उसकी तारीफ कर रहे थे। ,,जबकि इससे पहले लगातार ये देखा जा रहा है।, खासतौर पर हाल के सालों में,, की वो पत्रकार जिनका ऐक्सेस संसद के अंदर ,,बहुत आसान था ,,वो एक्सेस मुश्किल हुआ है।, यही नहीं दोस्तों ,,वो पत्रकार जो पॉलिटिकल खबरें कवर करते हैं ,,वो केवल संसद कवर नहीं करते ,,क्योंकि संसद तो पूरा साल चलती नहीं है,, तो वो ही पॉलिटिकल रिपोर्टर ,,बाकी वक्त पॉलिटिक्स की खबरें कवर करते है
पीएम मोदी को इस सवाल का जवाब देना चाहिए
तो ये सवाल पीएम से जरूर पूछना चाहिए ,,की वो पॉलिटिकल रिपोर्टर का कितना ऐक्सेस,, अब पीएमओ के आसपास है। ,,कोई एक खबर निकालना भी पीएमओ से,, अब कितना मुश्किल हो जाता है।, हाल के सालों में,, देश में पत्रकारिता का क्या स्तर हुआ है?, किस लेवल पर पत्रकारिता गिरी है ,,ये आपको और मुझको ,,किसी को भी ,,खासतौर पर पीएम को बताने की ,,कतई जरूरत नहीं है ,,तो मैं तारीफ करती हूँ पीएम मोदी जी की , जिन्होंने आज पत्रकारों को याद किया। ,,संसद कवर करने वाले ,,पत्रकारों का योगदान याद किया। लेकिन पीएम मोदी को याद रखना चाहिए ,,की वो पत्रकार जो संसद कवर करते है,, वो साल में बाकी दिन पॉलिटिक्स कवर करते है,, राजनीतिक खबरें कवर करते हैं,, क्या उनके पास सत्ताधारी दल का ,,वो ऐक्सेस है जो आज से 10 साल पहले ,,सत्ताधारी दल कवर करने वाले रिपोर्टरों को हुआ करता था?
आज देश में पत्रकारिता का क्या स्तर है ?
ये बात भी देखी गयी है दोस्तों,, हाल के सालों में की वो पत्रकार ,,जो संसद कवर करने के दौरान विपक्ष को ज्यादा स्पेस दिया करते थे,, जब विपक्ष हंगामा करता था,, विपक्ष की आवाज उठाया करते थे ,,और चैनल्स में भी उनको स्पेस मिला करती थी,, अखबारों में भी उनको स्पेस मिला करती थी,, आज वही रिपोर्टर,, वहीं संसद कवर करने वाले रिपोर्टर,, विपक्ष अगर सवाल उठाता है तो ,,उसको विलन के रूप में दिखाते हैं और सत्ता पक्ष की आवाज को ,,सारी फुटेज मिलती है। ,,पूरी मीडिया स्पेस मिलती है ,,तो हाल के सालों में वो पत्रकार जो संसद कवर करते है।, बदलाव उन्मे भी आया है।, और सबसे बड़ी बात ,,आज से 10 साल पहले जो पत्रकारिता का स्तर था,, आज क्या वो देश में है? ,,आप इस मु्द्दे पर क्या सोचते है?, कमेन्ट कर अपनी राय जरूर दे