Jan Vishwas Bill : जो आप दवा खरीदते हैं,,, यह मानकर कि वह असली है,, सरकारी प्रयोगशाला में जांची–परखी है,,, मान्य है, ,,मर्ज़ को ठीक करने वाली है। ,,इस बिल में लिखा है कि ,,,अगर किसी घटिया दवा के सेवन से आपकी मौत हो जाती है ,,या किडनी, लिवर, हार्ट या,,, कोई अन्य शारीरिक क्षति होती है तो ,,किसी को भी सजा का दोषी नहीं ठहराया जाएगा.,’अरबों रुपये कमाने वाली ,,,इन बड़ी कंपनियों को बस एक छोटा सा ,,,फाइन देना होगा, ,,अब न उसे कोर्ट जाने की ज़रूरत है, न कोई मुक़दमा लड़ने की।, मोदी सरकार को जनहित नही,,, बल्कि मित्र हीत दिख रहा है…!! लोकसभा में मणिपुर पर हंगामे के बीच,, नरेंद्र मोदी सरकार ने चुपचाप,, जन विश्वास बिल 2023 पास कर लिया , नरेंद्र मोदी कहते हैं–सबका साथ, सबका विश्वास ,,क्या यही है जन विश्वास?
क्या है जन विश्वास बिल (Jan Vishwas Bill)
इस बिल के तहत कई कानूनों में दी गई सजा के प्रावधानों को ,,,या तो खत्म किया गया है या,, फिर सजा को कम कर दिया गया है. ,,खासकर कई कानूनों में तो जेल की सजा को हटा दिया गया है.,,आइए जानते है , क्या है जन विश्वास बिल? इसके तहत किन कानूनों में अपराध के,,,प्रावधान को हटाया गया या ,,,कम किया गया है? इसके पीछे क्या कारण है? ,, लेकिन आगे बढ़ने से पहले,, इस विडिओ को लाइक करे , शेयर करें , और अगर पहली बार , जनता की आवाज न्यूज चैनल को देख रहे है तो ,, चैनल को सबस्क्राइब भी करें,, और घंटी जरूर बजायें,, चैनल की भी और सरकार की भी,, आज की नैशनल मीडिया के मुक़ाबले मे ,,जनता का साथ दीजिए,, और उसकी ताक़त बनिए,,,जनता की आवाज बनिए,,,,और हो सके तो इसके लिए,,, चैनल को जॉइन भी करें
देश में व्यापार करने में आसानी हो
जन विश्वास बिल का लक्ष्य है,,, कि 42 कानूनों के,, 180 अपराधों को गैर-अपराधिक घोषित करना,,. यानी 180 ऐसे अपराध हैं,, जिन्हें अब अपराध नहीं माना जाएगा और ,,,इसलिए इसमें मिलने वाली सजा ,,को कम कर दिया जाएगा.,,ये कानून,, पर्यावरण,, कृषि,,, मीडिया,, उद्योग,, व्यापार,,, प्रकाशन,, और कई अन्य क्षेत्र के हैं,, जिनमें होने वाले अपराध को या तो कम किया गया है,,, या खत्म किया है ताकी,, देश में व्यापार करने में आसानी हो यानि ईज ऑफ डुइंग बिजनेस .,,बिल का उद्देश्य है कि ,,कुछ अपराधों में मिलने वाली जेल की सजा को या तो पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए,, या फिर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाए
देश में 1,536 कानून है जिनमें 70 हजार प्रावधान
इस बिल का उद्देश्य है कि,, भारत में चल रहे व्यापार सहजता से हो सके. व्यापार करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है.,, नियमों का उल्लंघन होने पर भारी जुर्माना और जेल का प्रावधान है.,, बिल के अनुसार अगर ऐसा होगा ,,,तो देश में बिजनेस को कैसे प्रोत्साहन मिलेगा,,,.फिलहाल देश में 1,536 कानून है जिनमें 70 हजार प्रावधान है. ,,ये सभी कानून भारत में व्यापार करने वालों पर लागू होते हैं. ,,ऐसा माना गया है कि ,,ये नियम खासकर MSME सेक्टर के विकास में बाधा बन रहे हैं
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की 2022 रिपोर्ट
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की 2022 में आई,, एक रिपोर्ट बताती है कि बिजनेस चलाने के लिए लागू ,,हुए 69,233 खास नियमों में से 26,134 में जेल का प्रावधान है. रिपोर्ट में माना गया है कि ,,,इन जटिल नियम और इनमें मिलने वाली सजा की वजह से ,,,देश में व्यापार करना कठिन है,,,रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि,, औसतन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जहां 150 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं ,,- इन्हें 500 से 900 नियमों से तो अनिवार्य रूप से जूझना होता है ,,,और इसमें इन्हें 12 से 18 लाख रुपयों का खर्च आ रहा है. ,,हर पांच में से 2 नियमों में जेल की सजा का प्रावधान है.
जन विश्वास बिल का मुख्य उद्देश्य
बिल के अनुसार,,, जन विश्वास बिल का मुख्य उद्देश्य है कि,, व्यवस्था में जो उलझनें हैं उन्हें हटाया जाए और पुराने नियम कायदों को बदला जाए.,, बिल में कहा गया है कि, “सरकार देश के लोगों और विभिन्न संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला है,,,. पुराने नियमों का अभी भी लागू रहना विश्वास की कमी का कारण बनता है…, नियमों के पालन के बोझ को कम करने से,,, व्यवसाय प्रक्रिया को गति मिलती है,,, और लोगों के जीवनयापन में सुधार होता है
कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल ने कहा
जब बिल को संसद में प्रस्तावित किया गया था तब कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था:”हमें लोगों पर भरोसा करना ही होगा.,, छोटी-मोटी भूल या गलतियों के लिए उन्हें सजा देना ठीक नहीं है.,, छोटे मोटे अपराधों के लिए जुर्माना लगाकर छोड़ देना ही ठीक है.”,,इस बिल के लागू होने के बाद, अदालतों का बोझ भी कम होगा.,, राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार, जुलाई 2023 तक, कुल 4.4 करोड़ लंबित मामलों में से 3.3 करोड़ आपराधिक मामले हैं.
जन विश्वास बिल के तहत 42 कानूनों में बदलाव
जन विश्वास बिल के तहत 42 कानूनों में बदलाव किए जाएंगे,,, किसमे क्या बदलाव हुआ है ,,,आइए जानते है , इस विधेयक में ड्रग्स एवं कॉस्टमेटिक्स एक्ट 1940 में दो संशोधन किए गए।, पहला संशोधन,, किसी दवा के विज्ञापन के लिए सरकारी विश्लेषण या परीक्षण रिपोर्ट का ,,उपयोग करने के बार-बार अपराध के लिए सजा को बदलने का प्रावधान करता है।, पहले इसके लिए दो साल की सजा या दस हजार रुपए से अधिक का जुर्माना किया जाता था,, जिसे अब पांच लाख रुपए कर दिया गया है। ,,दूसरा संशोधन 1940 अधिनियम की धारा 27 (डी) के तहत परिभाषित मानक गुणवत्ता से ,,,कम या घटिया स्तर की ,,,दो साल की कैद और 20 हजार रुपए जुर्माने की जगह ,,अब केवल जुर्माने का ही प्रावधान करता है
भारतीय वन अधिनियम, 1927
फिलहाल: वन में अतिक्रमण करना, मवेशियों को वन के अंदर लाना, लकड़ी काटना या आरक्षित वन में किसी पेड़ को काटना या क्षति पहुंचाना एक दंडनीय अपराध है ,,जिसमें 6 महीने तक की जेल या ,,,500 रुपये तक का जुर्माना या, दोनों हो सकते हैं.
बदलाव: जेल की सजा का प्रावधान हटा दिया गया है. केवल 500 रुपये का जुर्माना ही देना होगा. सरकार द्वारा आरक्षित पेड़ के पास पेड़ जलाने पर जेल नहीं होगी बाकी अपराध करने पर भी जेल नहीं होगी.
वायु अधिनियम, 1981
फिलहाल: अगर वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में कोई इंडस्ट्री या इससे जुड़े काम करता है तो उसपर भारी जुर्माने के साथ साथ 6 साल की जेल का भी प्रावधान है.
बदलाव: जेल की सजा नहीं दी जाएगी केवल जुर्माना ही वसूला जाएगा. इसमें ज्यादा से ज्यादा 15 लाख रुपये का जुर्माना ही वसूला जा सकता है.
सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000
फिलहाल: धारा 66ए लागू है. ये धारा कहती है कि जो संचार सेवा (कम्युनिकेशन सर्विस) के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश या गलत जानकारी भेजता है,,, तो दो साल की जेल और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है,,. अगर कोई लीगल contract के तहत व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करता है तो 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाता है.
बदलाव: धारा 66ए के तहत कई नियम है, जिसे हटाने का प्रस्ताव है. इसमें जेल की सजा को खत्म किया गया है ,,,और जुर्माना 5 लाख रुपये निर्धारित किया गया है. अगर कोई लीगल contract के तहत व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करता है तो केवल 25 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा, कोई जेल नहीं होगी.
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
फिलहाल: अनजाने में अगर कोई उल्लंघन करता है, जैसे प्रदूषकों का अनजाने में गलत जगह पर डिसचार्ज करना जो अधिनियम की धारा 7 और 9 के तहत आता है – तो 5 साल की जेल और एक लाख का जुर्माना लगाया जाता है.
बदलाव: जेल के प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव है और 1 से 15 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
कॉपीराइट अधिनियम, 1957
फिलहाल: किसी प्राधिकारी या अधिकारी को धोखा देने या प्रभावित करने के लिए गलत बयान देने पर ज्यादा से ज्यादा एक साल जेल की सजा है और जुर्माना है.
बदलाव: ना ही जेल की सजा है और न ही कोई जुर्माना
मोटर वाहन अधिनियम, 1988
फिलहाल: धारा 192ए के तहत, परमिट के बिना मोटर वाहन का उपयोग करने वाले व्यक्ति को छह महीने तक की जेल और 10,000 रुपये का जुर्माना लगता है.
बदलाव: 6 महीने तक की जेल की सजा तो रहेगी लेकिन यहां जुर्माना हटा दिया गया है.
रेलवे अधिनियम, 1989
फिलहाल: ट्रेन में या रेलवे स्टेशन पर बिना परमिट के भीख मांगते या सामान बेचते हुए कोई पकड़ा गया तो एक साल की जेल और 2 हजार रुपये का जुर्माना लगता है.
बदलाव: भिखारियों के लिए सजा के प्रावधान को हटाया गया है.
पेटेंट अधिनियम, 1952
फिलहाल: इस अपराध के लिए 1 लाख रुपये तक का जुर्माना है.
बदलाव: यदि कोई व्यक्ति अपने द्वारा बेची गई वस्तु पर गलत तरीके से पेटेंट का दावा करता है, तो उसे 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा, और केस चलने तक प्रति दिन 1,000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना देना होगा.
कृषि उपज अधिनियम, 1937
फिलहाल: किसी वस्तु को ग्रेड चिन्ह के साथ unauthorized रूप से चिह्नित करने और उसकी बिक्री के लिए जेल की सजा का प्रावधान है.
बदलाव: जेल की सजा हटा दी जाएगी, इसके बजाय, इसमें 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है.
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006
फिलहाल: असुरक्षित भोजन यानी अनसेफ फूड की बिक्री के लिए 6 महीने तक की जेल की सजा होती है और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है. साथ ही भ्रामक या गलत जानकारी देने पर किसी व्यक्ति को तीन महीने तक की जेल हो सकती है, साथ ही दो लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
बदलाव: अनसेफ फूड की बिक्री के लिए 3 महीने से ज्यादा की जेल की सजा नहीं हो सकती और 3 लाख रुपये का जुर्माना है. भ्रामक या गलत जानकारी देने पर किसी व्यक्ति को ,,,केवल 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा,,
बिल फिलहाल लोकसभा से पारित हुआ
अभी ये बिल फिलहाल लोकसभा से पारित हुआ है, ,,इसका राज्यसभा से पारित होना जरूरी है और फिर ,,,यह राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा, ,,इसके बाद ही ये कानून लागू होगा.,,जेल की सजा के प्रावधानों को ,,,जुर्माने के प्रावधानों से बदलना एक अच्छा प्रयास नहीं है. ,, अब सवाल ये उठता है की ,,,कारावास के प्रावधान को पूरी तरह से हटाने से ,,क्या अपराधों में कमी आएगी,,,आपकी इस बिल पर,, क्या राय है , हमे कमेन्ट बॉक्स मे कमेन्ट कर जरूर बताए