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ADR Report on MP MLAs crime: रक्षक ही हैं भक्षक इन नेताओं से कैसे बचें बेटियां?

ADR Report on MP MLAs crime: बीजेपी का नारा है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ बेटी पढ़ तो गई पर बच नहीं पाई कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कन्नौज में नाबालिग के साथ रेप यूपी बिहार के बादइस बीच महाराष्ट्र के बदलापुर कांड ने भी पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सुरक्षा को लेकर पिछले 12 दिन से पूरा देश न सिर्फ उबल रहा है बल्कि यह राजनीतिक मुद्दा भी बना हुआ है। आमजन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक व्याकुल है कि देश में नारियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। लोग सड़क पर उतर कर कड़े कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन जिस संसद के पास कानून बनाने का अधिकार हैं और जब कानून बनाने वालों का दामन दागदार रहेगा तो देश की बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कौन उठाएगा? अगर सांसदों और विधायकों पर ही महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज हों तो फिर आप किससे उम्मीद करेंगे.  कोलकाता कांड के बीच इस डराने वाली रिपोर्ट ने इसका खुलासा कर दिया है की देश मे रक्षक की भक्षक है

ADR Report में खुलासा

सांसद-विधायक किसलिए होते है इसलिए ही तो होते हैंताकि वे लोगों की बात सरकार तक पहुंचाएं. पब्ि कंक की सुरक्षा के लिए नीतिया बनाएं. हर कदम पर उनकी मदद करें. लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि देश के 151 मौजूदा सांसदों-विधायकों परमहिलाओ के साथ बर्बरता के गंभीर आरोप हैं.किसी पर छेड़छाड तो किसी पर हत्याषकिसी पर मारपीट तो किसी पर रेप का केस दर्ज है. इन लोगों ने खुद अपने चुनावी हलफनामे में ये बात कही है. गौर करने वाली बात है तो ये है की इनमें पश्चिैम बंगाल के सांसदों और विधायकों की संख्यां सबसे ज्यागदा है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 और 2024 लोकसभा चुनाव में जीते 4693 सांसदों-विधायकों के हलफनामे की पड़ताल की. इनमें 16 सांसद और 135 विधायक ऐसे मिले जिनपर मह‍िलाओं के साथ रेप करने का आरोप है. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार महिला अपराध से संबंधित सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल के सांसदों-विधायकों पर चल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं से अपराध के मुकदमे का सामना कर रहे जन-प्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा भाजपा (54) के हैं। उसके बाद कांग्रेस के 23 और टीडीपी के 17 सांसद और विधायक हैं। एडीआर ने 2019 और 2024 के बीच चुनावों के दौरान भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4809 हलफनामों में से 4693 की जांच की। 16 मौजूदा सांसद-विधायक ऐसे हैं जिन्होंने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है जिसके लिए न्यूनतम 10 साल की सजा है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इनमें से दो सांसद और 14 विधायक हैं। आरोपों में एक ही पीड़ित के खिलाफ बार-बार अपराध करना भी शामिल है जो इन मामलों की गंभीरता को और भी अधिक रेखांकित करता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही पांच-पांच मौजूदा विधायक बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल टॉप राज्य में

महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित आरोपों का सामना कर रहे 25 मौजूदा सांसदों और विधायकों के साथ पश्चिम बंगाल इस सूची में सबसे ऊपर है इसके बाद आंध्र प्रदेश में 21 और ओडिशा में 17 सांसद और विधायक हैं। दिल्ली में 13 विधायक महाराष्ट्र में 12 विधायक और एक सांसद बिहार में आठ विधायक और एक सांसद ने अपने हलफनामे में महिला से सबंधित अपराध के केस दर्ज होने की बात कही है। कर्नाटक में सात विधायक राजस्थान में छह और मध्यप्रदेश में पांच विधायकों ने महिलाओं से संबंधित अपराध के मामले घोषित किए हैं। यूपी में तीन विधायक और एक सांसद पर महिला अपराध के केस चल रहे हैं।

इस सूची में हिमाचल प्रदेश के भी एक जनप्रतिनिधि का नाम शामिल है. गौरतलब है कि हिमाचल में चार लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद आते हैं जबकि 68 विधायक हिमाचल विधानसभा के सदस्य हैं. इनमें से एक विधायक का नाम एडीआर की रिपोर्ट में शामिल है. हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की चिंतपूर्णी सीट से कांग्रेस विधायक सुदर्शन बबलू पर भी महिला अपराध से जुड़ा मामला दर्ज है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक उनपर महिला अपराध से जुड़ी आईपीसी की धारा 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द इशारा या कृत्य) के तहत एक मामला दर्ज है.वैसे हिमाचल के अलावा मणिपुर दादर नगर हवेली और दमन और दीव ही दो ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां एक-एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ महिला अपराध से जुड़े मामले चल रहे हैं. इसके बाद गोवा असम में 2-2 पंजाब झारघंड में 3-3 यूपी गुजरात तमिलनाडु में 4-4 मध्य प्रदेश तेलंगाना केरल में 5-5 जनप्रतिनि इस सूची में शामिल हैं. इसके अलावा राजस्थान में 6 कर्नाटक में 7 बिहार में 9 महाराष्ट्र और दिल्ली में 13-13 ओडिशा में 17 आंध्र प्रदेश में 21 और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 25 सांसद या विधायक इस लिस्ट में शामिल हैं.

ये आंकड़े सिर्फ उन जनप्रतिनिधियों के हैं जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। ऐसे दागी नेताओं की वास्तविक संख्या का तो सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है जिनकी आपराधिक प्रवृति के किस्से तो सभी की जुबान पर रहते हैं पर मुकदमा दर्ज कराने की हिम्मत कोई नहीं दिखा पाता।लेकिन विडंबना यह है कि कानून बनाने वाली संसद और विधानसभाओं में अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते समय हम सब भूल जाते हैं। राजनीतिक पार्टियां ऐसे नेताओं को टिकट दे देती हैं और हम मिलकर उन्हें संसद और विधानसभाओं में भेज देते हैं।

दोस्तों वर्तमान में माननीयों पर इस तरह के आपराधिक आरोप लगने के कारण भारत में चुनाव सुधार की मांग बढ़ती जा रही है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए भारतीय राजनीति में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है. भारत के नागरिको समाजिक संगठनों और राजनीतिक नेताओं को यह तय करना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर ना आसीन करें ताकि देश की अंखडता और राजनीति में सूचिता बरकरार रहे. संविधान की प्रस्तावना में ये साफ लिखा है कि भारतीय संविधान जनता से शक्ति प्राप्त करता है. जनता दागदार छवि वाले नेताओं को ना चुनकर भारतीय राजनीति में सुधार ला सकती है. बेटियों के खिलाफ शर्मनाक अपराध सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम एक समाज के तौर पर कहां जा रहे हैं? हम लोगों ने कैसे माननीयों को चुना?इससे भी बड़ा सवाल की ऐसे लोगों को टिकट क्यों देती है पार्टी अब आप ही बताइए महिला विरोधी कानून बनाने वाले नेता जब खुद बलात्कारी निकले तो फिर उम्मीद किनसेकी जाए अपनी राय हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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